आदित्य बिरला हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड

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रीडर संबंधी प्रश्न और रिज़ोल्यूशन

17 जुलाई 2024 को प्रकाशित

1) होम लोन के लिए अच्छा CIBIL स्कोर क्यों ज़रूरी है?

जब आप होम लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो फाइनेंशियल संस्थान (FIs) आपका CIBIL स्कोर चेक करते हैं, जो कि क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (CIBIL) की प्रदान की गई रेटिंग होती है. यह स्कोर 300 से 900 के बीच की तीन अंकों की संख्या होती है, जो कि बैंकों, FIs और अन्य क्रेडिट देने वाले संस्थानों से इकट्ठा की गई विस्तृत क्रेडिट जानकारी के आधार पर बनती है. इस डेटा के आधार पर, ब्यूरो किसी व्यक्ति का स्कोर और रिपोर्ट जनरेट करता है.

आपका CIBIL स्कोर आपके क्रेडिट इतिहास का सारांश होता है, जिसमें पिछले भुगतान, सेटलमेंट, डिफॉल्ट, राइट-ऑफ लोन, सिक्योर्ड बनाम अनसिक्योर्ड लोन, क्रेडिट कार्ड का उपयोग और लोन इक्विटी जैसी चीज़ों की जानकारी होती है. क्रेडिट क्रेडिट संस्थानों से मिलने वाले नए डेटा के आधार पर, ब्यूरो हर 30-45 दिन में CIBIL स्कोर अपडेट करता है. अगर बैंक या FI के साथ आपके कोई विवाद हैं, जिनसे आपके स्कोर पर असर पड़ रहा है, तो आप अपनी जानकारी अपडेट करने के लिए ब्यूरो से संपर्क कर सकते हैं.

अगर एप्लीकेंट का क्रेडिट स्कोर 700 हो, तो अधिकांश बैंक होम लोन अप्रूव कर देते हैं. अगर आपका क्रेडिट स्कोर 650 से कम है, तो आपको बड़ी राशि का लोन मिलना मुश्किल हो सकता है. इसलिए, आकर्षक ब्याज दर पर होम लोन पाने के लिए कम से कम 700 का स्कोर बनाए रखना बहुत ज़रूरी है.

लंबे समय में अपना क्रेडिट स्कोर बढ़ाने के लिए, समय पर लोन का पुनर्भुगतान करें, अपनी मौजूदा क्रेडिट लिमिट का 30% ही इस्तेमाल करें, सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड दोनों तरह के लोन लें, सभी मौजूदा कर्ज़ चुका दें और अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में किसी भी तरह की गलती होने पर क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट करें.

याद रखें, खासतौर पर लोन लेने के लिए अच्छा CIBIL स्कोर बनाए रखने से बेहतर फाइनेंशियल लाभ मिल सकते हैं. इसलिए, अच्छा फाइनेंशियल अनुशासन बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है.

2) होम लोन बैलेंस ट्रांसफर करने के बारे में कब सोचना चाहिए?

होम लोन बैलेंस ट्रांसफर करने से, आप बकाया लोन राशि एक लेंडर से दूसरे लेंडर के पास ट्रांसफर कर सकते हैं, जिससे आपको अपनी फाइनेंशियल ज़रूरतों के मुताबिक ब्याज दरें और पुनर्भुगतान विकल्प चुनने की सुविधा मिलती है. होम लोन ट्रांसफर का विकल्प चुनते समय, याद रखें कि आपको प्रोसेसिंग फीस, कानूनी शुल्क और अन्य लागू लागतों का भुगतान करना पड़ सकता है. यह पक्का करें कि लोन ट्रांसफर करवाने से होने वाला फायदा, इन शुल्कों से ज़्यादा हो, तभी यह फाइनेंशियल रूप से एक अच्छा फैसला होगा.

बैलेंस ट्रांसफर कई तरीकों से फायदेमंद हो सकते हैं:

  • सस्ती ब्याज दरें: EMI का बोझ कम हो जाता है.
  • सुविधाजनक पुनर्भुगतान विकल्प: आपको अपनी ज़रूरतों के अनुसार पुनर्भुगतान प्लान चुनने की सुविधा मिलती है.
  • टॉप-अप लोन विकल्प: आपको पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड की तुलना में कम ब्याज दर पर, अन्य उद्देश्यों के लिए अतिरिक्त फंड उधार लेने की सुविधा मिल जाती है.
  • बेहतर कस्टमर सर्विस: अगर आप अपने मौजूदा लेंडर की कस्टमर सर्विस से असंतुष्ट है, तो बेहतर सुविधा देने वाले लेंडर के पास अपना लोन ट्रांसफर करना, आपके लोन मैनेजमेंट को अधिक सुविधाजनक बना सकता है.

बैलेंस ट्रांसफर के लिए नया लेंडर चुनते समय इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

आपको अपने मौजूदा लेंडर से आपको ये डॉक्यूमेंट लेने होते हैं:

  • सहमति पत्र: यह एक औपचारिक एप्लीकेशन फॉर्म है, जिसमें होम लोन ट्रांसफर के बारे में बताया जाता है और सहमति पत्र के लिए अनुरोध किया जाता है.
  • नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC): यह एक सर्टिफिकेट है, जिसमें यह बताया जाता है कि आपके होम लोन दूसरे लेंडर को ट्रांसफर करने से आपके मौजूदा लेंडर को कोई समस्या नहीं है.
  • फोरक्लोज़र लेटर: इस पत्र में यह बताया जाता है कि उक्त तिथि को आपका होम लोन फोरक्लोज़ हो गया है और अब कोई राशि बकाया नहीं है. यह पत्र आपको तब मिलेगा, जब आपका नया लेंडर मौजूदा लेंडर को पूरी बकाया राशि का भुगतान कर देगा.
  • प्रॉपर्टी के पेपर
  • जमा किए गए पोस्ट-डेटेड चेक

बैलेंस ट्रांसफर के लिए नया लेंडर चुनते समय इन सभी कारकों पर विचार करना बहुत ज़रूरी होता है.

3) प्रॉपर्टी की वैल्यू के कितने प्रतिशत का होम लोन अप्रूव हो सकता है?

आमतौर पर, प्रॉपर्टी वैल्यू के 75% से 90% LTV अनुपात के मुताबिक होम लोन दिए जाते हैं, जो कि लोन राशि पर निर्भर करता है.

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के मानदंडों के अनुसार, सामान्य दिशानिर्देश इस प्रकार हैं:

a) ₹30 लाख तक की लोन राशि के लिए, LTV अनुपात 90% तक होता है.

b) ₹30 लाख से ₹75 लाख तक की लोन राशि के लिए, LTV अनुपात 80% तक होता है.

c) ₹75 लाख से अधिक की लोन राशि के लिए, LTV अनुपात 75% तक होता है.

लेंडर LTV अनुपात निर्धारित करते समय आपकी आय, क्रेडिट स्कोर, पुनर्भुगतान क्षमता और प्रॉपर्टी की जगह और स्थिति जैसे कारकों पर भी विचार करते हैं.

डाउन पेमेंट की राशि का भुगतान आपको खुद करना होता है, जो कि LTV अनुपात और लोन राशि के हिसाब से 10% से 25% तक होती है.

इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन फीस और स्टाम्प शुल्क, प्रोसेसिंग फीस और अन्य खर्चों का भुगतान आपको ही करना होता है, क्योंकि इन लागतों को लोन के तहत कवर नहीं किया जाता.

4) होम लोन इलिजीबिलिटी को कैसे बढ़ाया जा सकता है ?

आपकी पात्रता के मुताबिक, लेंडर स्वीकृत की जाने वाली राशि को सीमित कर सकते हैं, लेकिन इन तरीकों को अपनाकर आप अपनी पात्रता को बढ़ा सकते हैं:

1. जॉइंट लोन के लिए अप्लाई करें: अपनी होम लोन पात्रता बढ़ाने के प्रभावी तरीकों में से एक है परिवार के कमाने वाले सदस्य के साथ जॉइंट लोन के लिए अप्लाई करना, जैसे कि आपके पति/पत्नी के साथ, माता-पिता या भाई-बहन के साथ. जब आप जॉइंट लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो दोनों एप्लीकेंट की संयुक्त आय को ध्यान में रखा जाता है, जिससे आपको अधिक राशि का लोन मिल सकता है. इसके अलावा, दोनों एप्लीकेंट प्रॉपर्टी के सह-मालिक होने के नाते, लोन भुगतान के अपने हिस्से के आधार पर व्यक्तिगत रूप से टैक्स लाभ ले सकते हैं.

2. लोन की अवधि बढ़ाएं: EMI राशि, लोन अवधि के हिसाब से बनती है; लंबी अवधि होने पर EMI (समान मासिक किश्त) की राशि कम और छोटी अवधि होने पर अधिक होती है. लंबी अवधि का लोन लेने से, EMI अधिक किफायती हो जाती है, जिससे आप अधिक लोन राशि के लिए अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि, आपकी आयु, पेशे और अन्य बातों को ध्यान में रखकर ही लेंडर अधिकतम लोन अवधि निर्धारित करते हैं.

3. अपना क्रेडिट स्कोर बेहतर बनाएं: अधिक क्रेडिट स्कोर होम लोन पात्रता को काफी बढ़ा देता है. अधिक क्रेडिट स्कोर वाले एप्लीकेंट को आकर्षक ब्याज दरों पर होम लोन मिल जाता है. इसलिए, आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर बनाने से आपकी पात्रता बढ़ सकती है और होम लोन प्राप्त करना आसान हो सकता है.

4. मौजूदा लोन की प्री-पेमेंट: लेंडर आपकी पुनर्भुगतान क्षमता का आकलन करते हैं, ताकि पक्का कर सकें कि आप नए लोन का पुनर्भुगतान कर पाएंगे. इसके लिए वे फिक्स्ड ऑब्लिगेशन टू इनकम रेशियो (FOIR) जैसे पैरामीटर का आकलन करते हैं, जिनसे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि आपकी मासिक आय की कितनी प्रतिशत राशि मौजूदा लोन को चुकाने में इस्तेमाल हो रही है. इसलिए, मौजूदा कर्ज़ को चुकाने से आपकी होम लोन पात्रता में काफी सुधार होता है.

जब लेंडर होम लोन को अप्रूव करते हैं, तो वे काफी जोखिम लेते हैं. इस जोखिम को कम करने के लिए, लेंडर ऊपर दिए गए पैरामीटर के आधार पर उधारकर्ता की प्रोफाइल का सावधानी से आकलन करते हैं और केवल पात्र एप्लीकेंट के लोन ही स्वीकृत किए जाते हैं.

5) महिलाओं को होम लोन लेने से कैसे फायदा हो सकता है?

आज के आधुनिक युग में, महिलाएं लीडर की भूमिका निभा रही हैं और जीवन के कई क्षेत्र में अपनी बराबरी साबित कर रही हैं. वे स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं, घर चला रही हैं और घर खरीदने जैसे बड़े फैसले ले रही हैं. हाल के वर्षों में होम लोन के लिए अप्लाई करने वाली महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई है, इसलिए कई लेंडर इस प्रचलन को और प्रोत्साहित करने के लिए उनके लिए विशेष लाभ प्रदान करते हैं.

महिलाओं के लिए होम लोन लेने के खास फायदे यहां बताए गए हैं:

  • कम ब्याज दरें: भारत में कई लेंडर महिलाओं को पुरुषों की तुलना में फाइनेंशियल रूप से अधिक ज़िम्मेदार समझते हैं. रियल एस्टेट जैसी संपत्ति में इन्वेस्ट करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए, लेंडर अक्सर महिलाओं को मानक बाज़ार दरों से काफी कम ब्याज दरों पर होम लोन देते हैं.
  • लंबी पुनर्भुगतान अवधि: कोई भी लोन लेते समय सही पुनर्भुगतान अवधि चुनना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे EMI की राशि और लोन की लागत पर प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के लिए तैयार किए गए हाउसिंग लोन में, कई लेंडर महिलाओं की फाइनेंशियल स्थिति और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर लोन अवधि चुनने की सुविधा देते हैं.
  • कम स्टाम्प शुल्क: घर खरीदने पर स्टाम्प शुल्क का भुगतान करना पड़ता है और राज्य में लागू नियमों के मुताबिक प्रॉपर्टी की वैल्यू का 1% से 3% तक का वैधानिक खर्च देना पड़ता है. महिलाओं को घर लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, कई राज्यों में स्टाम्प शुल्क की दरों में 1% छूट दी जाती है, जिससे काफी बचत होती है. उदाहरण के लिए, ₹1 करोड़ की प्रॉपर्टी पर, यह कटौती ₹1-2 लाख तक की बचत कर सकती है.
  • अतिरिक्त टैक्स लाभ: पुरानी टैक्स व्यवस्था में, होम लोन के मूलधन के पुनर्भुगतान पर, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत वार्षिक रूप से ₹1.5 लाख की टैक्स कटौती का लाभ लिया जा सकता है. इसी तरह, सेक्शन 24 के तहत ब्याज भुगतान पर ₹2 लाख की टैक्स कटौती का लाभ लिया जा सकता है. अगर कोई महिला अपने पति के साथ सह-उधारकर्ता और सह-मालिक होती है, तो दोनों को अलग-अलग टैक्स लाभ मिल सकता है.
  • अतिरिक्त लाभ: कई भारतीय लेंडर महिला उधारकर्ताओं को अतिरिक्त लाभ देकर आकर्षित करते हैं, जैसे वाउचर, विशेष क्रेडिट कार्ड ऑफर, मुफ्त में छुट्टी का पैकेज और छोटे गिफ्ट. ये लाभ महिला उधारकर्ताओं के लिए होम लोन ऑफर को आकर्षक बनाते हैं.

इसलिए, अगर कोई महिला होम लोन लेना चाहती हैं, तो इसके कई फायदे हो सकते हैं. अगर लंबे समय से आपकी घर खरीदने की इच्छा रही है, तो यह होम लोन अप्लाई करके अपने सपने को साकार करने का सबसे अच्छा समय है.